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कुंडली के नवम् भाव में सूर्य और राहु की युति होने पर पितृ दोष योग बनता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य और राहु जिस भी ग्रह में बैठते हैं, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते हैं। नौवां घर धर्म का होता है, इसे पिता का घर भी कहा जाता है। माना जाता है कि यदि कुंडली का नौंवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित हो तो यह पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं का सूचक है। इसे ही पितृदोष कहा जाता है।
कारण - अगर आपके द्वारा किसी सत्पुरूष, बाह्मण या कुलगुरु का अनादर किया गया है तो आप पितृ दोष से पीडित होते हैं। गोहत्या और पितरों को जल अर्पित न करना भी इस दोष का मुख्य कारण है।
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